बिरसा मुंडा जयंती पर निबंध

बिरसा मुंडा जयंती: भारत के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी का जीवन और संघर्ष

परिचय:

15 नवंबर को भारत के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाती है। बिरसा मुंडा ने 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश राज के खिलाफ एक आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसे मुंडा विद्रोह या उलगुलान के नाम से जाना जाता है। बिरसा मुंडा को भारत के आदिवासियों का महानायक माना जाता है और उन्हें “धरती आबा” के नाम से भी जाना जाता है।

जीवन परिचय:

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातू गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी मुंडा था। बिरसा मुंडा ने बचपन से ही अंग्रेजों के अत्याचारों को देखा था। उन्होंने देखा कि अंग्रेज आदिवासियों को उनके अपने जंगलों से बेदखल कर रहे हैं और उनसे बेवजह कर वसूल कर रहे हैं। इन अत्याचारों से बिरसा मुंडा के मन में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की भावना जागृत हो गई।

मुंडा विद्रोह का नेतृत्व:

1894 में बिरसा मुंडा ने सभी मुंडाओं को एकत्र कर अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आंदोलन किया, जिसे ‘मुंडा विद्रोह’ या ‘उलगुलान’ कहा जाता है। इस विद्रोह में हजारों आदिवासी शामिल हुए और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर संघर्ष किया। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आदिवासियों को बताया कि वे अंग्रेजों के गुलाम नहीं हैं और उन्हें अपना अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना चाहिए।

लेख में बिरसा मुंडा के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है।

अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तारी:

बिरसा मुंडा के विद्रोह से अंग्रेज सरकार घबरा गई। अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर हजारीबाग केंद्रीय कारागार में डाल दिया। जेल में भी बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के लिए संघर्ष करना जारी रखा। उन्होंने जेल से ही आदिवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

मृत्यु:

9 जून 1900 को बिरसा मुंडा की जेल में ही मृत्यु हो गई। बिरसा मुंडा की मृत्यु के बाद भी उनका आंदोलन जारी रहा और अंततः 1903 में अंग्रेजों को मुंडा विद्रोह को दबाने में सफलता मिली।

उपसंहार:

बिरसा मुंडा भारत के आदिवासियों के लिए एक प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करना चाहिए।

निष्कर्ष:

यह लेख बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष पर आधारित है। लेख में बिरसा मुंडा के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *